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माता धूमावती

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<h3><strong>माता धूमावती</strong></h3>

माता धूमावती

हम आपके लिए सप्तम महा विद्या भगवती धूमावती की कहानी लेकर आए हैं। आइऐं जानते हैं कि कितनी चमत्कारी देवी हैं। माता धूमावती।

पुराणों के अनुसार एक बार माॅ पार्वती को बहुत तेज भूख लगी थी किन्तु कैलाश पर उस समय कुछ न रहने के कारण वे अपनी क्षुधा शांत करने के लिए भगवान शंकर के पास गई और उनसे भोजन की माॅग करती हैं, किन्तु उस समय भोलेनाथ अपनी समाधि में लीन होते हैं। माॅ पार्वती के बार-बार निवेदन करने पर भी भोलेनाथ अपनी समाधि से नहीं उठते और वे ध्यानमुद्रा में ही मग्न रहते हैं। माॅ पार्वती की भूख और तेज हो जाती है और वे भूख से व्याकुल हो उठती हैं, परन्तु जब माॅ पार्वती को खाने की कोई वस्तु नहीं मिलती तो वह अपनी श्वास सींचकर भगवान शंकर को निगल जाती हैं। भगवान शिव के कंठ में विष होने के कारण माॅ के शरीर से धुआं निकलने लगता है। उनका स्वरूप श्रृंगार विहीन तथा विकृत हो जाता है तथा माॅ पार्वती की भूख शांत होती है। तत्पश्चात् भगवान शिव माया के द्वारा माॅ पार्वती के शरीर से बाहर आते हैं और पार्वती के धूमसे व्याप्त स्वरूप को देखकर कहते हैं कि अबसे आप इस वेश में भी पॅूजी जायेंगी।

इसी कारणवश माॅ जगदम्बा पार्वती का नाम धूमावती पड़ा। ग्वालियर चम्बल संभाग के दतिया जिले में शक्तिपीठ माॅ पीताम्बरा परिसर में माता धूमावती का मंदिर है। विश्व में यह इकलौता मंदिर है तथा यह देवी विधवा के स्वरूप में पूॅजी जाती है। माता धूमावती का रूप अत्यन्त भयंकर है। इन्होंने ऐसा रूप शत्रुओं के संहार के लिए ही धारण किया है।

!!भगवत्यै धूमावत्यै नमः!!

धूमावती पार्वती का एक रूप है मां धूमावती के प्राकट्य से संबंधित कथाएं अनूठी हैं। पहली कहानी तो यह है कि जब सती ने पिता के यज्ञ में स्वेच्छा से स्वयं को जला कर भस्म कर दिया तो उनके जलते हुए शरीर से जो धुआं निकला, उससे धूमावती का जन्म हुआ। इसीलिए वे हमेशा उदास रहती हैं। यानी धूमावती धुएं के रूप में सती का भौतिक स्वरूप है। सती का जो कुछ बचा रहा- उदास धुआं।

दूसरी कहानी यह है कि एक बार सती शिव के साथ हिमालय में विचरण कर रही थी। तभी उन्हें ज़ोरों की भूख लगी। उन्होंने शिव से कहा-'मुझे भूख लगी है' मेरे लिए भोजन का प्रबंध करें' शिव ने कहा-'अभी कोई प्रबंध नहीं हो सकता' तब सती ने कहा-'ठीक है, मैं तुम्हें ही खा जाती हूं। और वे शिव को ही निगल गईं। शिव तो स्वयं इस जगत के सर्जक हैं, परिपालक हैं। ले‍किन देवी की लीला में वे भी शामिल हो गए।

भगवान शिव ने उनसे अनुरोध किया कि 'मुझे बाहर निकालो', तो उन्होंने उगल कर उन्हें बाहर निकाल दिया... निकालने के बाद शिव ने उन्हें शाप दिया कि ‘ आज और अभी से तुम विधवा रूप में रहोगी.... [1]

सप्तम महाविद्या देवी धूमावती

गुप्त नवरात्री में माँ धूमावती की पूजा का महत्व

गुप्त नवरात्रि तंत्र मंत्र साधना पर विश्वास रखने वाले लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है. इस नवरात्रि में लोग अपनी सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए 10 महाविद्याओं की उपासना करते हैं. मां धूमावती दसमहाविद्या में सातवीं विद्या है. शास्त्र रुद्रामल तंत्र में बताया गया है कि सभी 10 महाविद्या शिव की शक्तियां है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब माता सती ने अपने पिता के यहां हवन कुंड में अपनी इच्छा अपने आप को जलाकर भस्म कर दिया था. तब उनके शरीर से जो धुआं निकला था उसी धुंए से माँ धूमावती प्रकट हुई थी. अर्थात मां धूमावती धुंए के स्वरूप में माता सती का भौतिक रूप है. मां धूमावती को रोग शोक और दुख को नियंत्रित करने वाली महाविद्या माना जाता है. पद्म पुराण में बताया गया है की दुर्भाग्य की देवी धूमावती मां लक्ष्मी की बड़ी बहन है. परंतु इनका स्वरूप मां लक्ष्मी से बिल्कुल उल्टा है. शास्त्रों के अनुसार मां धूमावती पीपल के पेड़ में निवास करती हैं. मान्यताओं के अनुसार धूमावती को दरिद्रता, अलक्ष्मी और ज्येष्ठा के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पाप, आलस्य, गरीबी, दुख और कुरूपता पर माँ धूमावती का आधिपत्य रहता है. 

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माँ धूमावती 2100 पाठ

माँ धूमावती का यह रूप माँ के विपरीत गुणों को प्रदर्शित करता हैं। इसलिए इन्हें अलक्ष्मी या ज्येष्ठा भी बुलाया जाता हैं। देवी धूमावती एक तरह से माँ देवी के नकारात्मक रूप का साक्षात् प्रदर्शन हैं किंतु अपने इस रूप से माँ अपने भक्तों के कई संकटों को दूर करती हैं।


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माँ धूमावती 5100 पाठ

माँ धूमावती का यह रूप माँ के विपरीत गुणों को प्रदर्शित करता हैं। इसलिए इन्हें अलक्ष्मी या ज्येष्ठा भी बुलाया जाता हैं। देवी धूमावती एक तरह से माँ देवी के नकारात्मक रूप का साक्षात् प्रदर्शन हैं किंतु अपने इस रूप से माँ अपने भक्तों के कई संकटों को दूर करती हैं।


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माँ धूमावती सवा लाख जाप

माँ धूमावती का यह रूप माँ के विपरीत गुणों को प्रदर्शित करता हैं। इसलिए इन्हें अलक्ष्मी या ज्येष्ठा भी बुलाया जाता हैं। देवी धूमावती एक तरह से माँ देवी के नकारात्मक रूप का साक्षात् प्रदर्शन हैं किंतु अपने इस रूप से माँ अपने भक्तों के कई संकटों को दूर करती हैं।


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माँ धूमावती सम्पूर्ण कवच

समस्त वस्तुएँ सवा लाख मंत्र एवं विशेष पूजन के द्वारा सिद्ध की गयी हैं ,इन समस्त वस्तुओं के उपयोग से आप अपने जीवन से संबंधित परेशानी को दूर कर सकते हैं ,ये वस्तुएँ आपके जीवन में उन्नति एवं उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करेंगी ।।


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सर्व कार्य सिद्धि हेतु हवन

राजस यज्ञ सात्विक होता है , जिसे समस्त लोग कर सकते हैं , तामस यज्ञ सात्विक नहीं होता है तथा उसमें ड़लने वाली आहुति भी सात्विक नहीं होती हैं , तथा तानस यज्ञ जिसे तांत्रिक क्रिया से किया जाता है , इस यज्ञ में भी सात्विक आहुति नहीं ड़लती।।


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ज्योतिष (Astrology) एक प्राचीन विज्ञान है जो ग्रहों, नक्षत्रों, और अन्य खगोलीय पिंडों की स्थिति और उनके प्रभावों का अध्ययन करता है। यह विश्वास किया जाता है कि इन खगोलीय पिंडों की स्थिति और गति का मानव जीवन, प्रकृति और घटनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष के माध्यम से, हम इन प्रभावों को समझकर अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं और विभिन्न समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।

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